कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय, भाषण, उम्र, जन्म, मृत्यु, भारत रत्न, जाति- Karpoori Thakur Biography in Hindi (Speech and Caste) ,birth,death, quotes, age, wiki, wife, bharat ratna
Karpoori Thakur: दोस्तों! 1960-70 के दशक में बिहार में एक ऐसा नेता हुआ जिनकी ईमानदारी, सच्चाई, बेबाक भाषण और सीधे आचरण की चर्चा आज भी बिहार में सुनाई देती है। आज भी बिहार के लोग उस आदमी को जननायक कह कर पुकारते हैं। उस आदमी का नाम था कर्पूरी ठाकुर
आज के अपने इस लेख में हम आपको बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके कर्पूरी ठाकुर जी के बारे में बताने वाले हैं। कैसे एक सामान्य से गरीब परिवार का लड़का बिहार के सबसे बड़े लोकतांत्रिक पद तक पहुंचने में सफल हुआ। इस लेख में आपको कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय, उनका राजनीतिक जीवन और उनके व्यक्तित्व के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।
कर्पूरी ठाकुर जीवनी (Karpoori Thakur Biography in Hindi)
पूरा नाम | कर्पूरी ठाकुर |
उपनाम | जननायक |
पिता का नाम | श्री गोकुल ठाकुर |
माता का नाम | रामदुलारी देवी |
जन्म- स्थान | पितौंझिया गाँव, समस्तीपुर बिहार |
राजनीतिक गुरु | जयप्रकाश नारायण और डॉ राममनोहर लोहिया |
प्रसिद्धि | बिहार के उपमुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री |
पार्टी | सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, लोकदल |
सम्मान | भारत रत्न |
उम्र (Age) | 64 साल |
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जन्म और प्रारंभिक शिक्षा(Birth and Education)
जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी सन 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री गोकुल ठाकुर और माता का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता एक किसान थे जो एक छोटी सी नाई की दुकान चलाते थे और माता गृहणी थीं। इन्होंने साल 1940 में पटना विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की उसके बाद महात्मा गॉंधी जी के विचारों से प्रेरित होकर साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार के द्वारा इन्हें बंदी बनाकर जेल में डाल दिया गया।
राजनीतिक जीवन (Political Career)
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में कूदने के बाद से ही कर्पूरी ठाकुर की राजनीति में रुचि होने लगी थी। साल 1945 में कारागार से छूटने के बाद इन्हें 1948 में समाजवादी दल का प्रादेशिक मंत्री बनाया गया। उस समय नरेंद्रदेव और जयप्रकाश नारायण समाजवादी दल के प्रमुख चेहरे थे। समाजवादी दल के प्रादेशिक मंत्री के रूप में कर्पूरी ठाकुर ने बहुत ही ख्याति अर्जित की, उनके भाषण सुनने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ जाता था। कर्पूरी ठाकुर सदैव अपने व्याख्यानो में दलित, शोषित और वंचित समुदाय की आवाज उठाते थे और यही एक मुख्य कारण था जिसकी वजह से बिहार के लोग कर्पूरी ठाकुर को पसन्द करने लगे थे। कर्पूरी ठाकुर जयप्रकाश नारायण और डॉ राममनोहर लोहिया को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
साल 1952 में कर्पूरी ठाकुर जी ने अपने जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें कर्पूरी ठाकुर की जीत हुई, इस विधानसभा चुनाव को जीतने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने जितने भी चुनाव लड़े सबमें उनकी जीत हुई। साल 1967 में ये बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री बने। अपने इस पद पर रहते हुए इन्होंने मैट्रिक में अंग्रेजी विषय की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया। उस समय में अंग्रेजी भाषा को छठवीं कक्षा से पढ़ाया जाता है जिससे कि ज्यादातर छात्र अंग्रेजी भाषा में मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं कर पाते थे। बिहार में इनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण साल 1970 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में रहते हुए इन्हें बिहार का 11वां मुख्यमंत्री बनाया गया।
उसके बाद 1977 में कर्पूरी ठाकुर ने समस्तीपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए पुनः 24 जून, 1977 को इन्हें दोबारा बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया। दो बार मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए भी इनका जीवन एक सामान्य आदमी की तरह ही था। कर्पूरी ठाकुर सदैव "सादा जीवन उच्च विचार" के नियम को मानने वाले थे। बेहद ही ईमानदार और साधारण व्यक्तित्व के कर्पूरी ठाकुर एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने देश सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। इनके बेटे का नाम रामनाथ ठाकुर है।
कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु (Karpoori Thakur Death)
बिहार के एक छोटे से गांव से बेहद ही गरीब परिवार से निकलकर कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बनने तक का सफर बहुत ही संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में पूरा किया है। इनके ईमानदारी और सादगी के चर्चे आज भी बिहार के लोगों द्वारा सुने जा सकते हैं। अपने संपूर्ण जीवन काल में इन्होंने गरीबों, दलितों, शोषितों और वंचितों के अधिकारों के लिए आवाज उठायी है। अपने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए इन्होंने दलितों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की।
कर्पूरी ठाकुर जी की मृत्यु 17 फरवरी, 1988 को पटना में दिल का दौरा पड़ने से हुई। उस समय इनकी उम्र (Age) 64 साल थी। आमतौर पर जहाँ किसी भी सामान्य नेता या मंत्री के पास बेसुमार धन- दौलत होती है वहीं कर्पूरी ठाकुर के पास खुद की एक जमीन तक नहीं थी। अपने जीवन में सदा ही ऑटो से चले हैं यहाँ तक की इनके पास अपना खुद का घर भी नहीं था।
सुप्रसिद्ध भाषण (Karpoori Thakur Speech/quotes)
कर्पूरी ठाकुर, एक ऐसा नाम जिसने बिहार की राजनीति को एक नया आयाम दिया, एक ऐसा नाम जिसने दलितों, शोषितों और वंचितों के अधिकारों की बात की, एक ऐसा नाम जिसके सादगी के किस्से बिहार में आज भी कहे जाते हैं। कर्पूरी ठाकुर की प्रसिद्धि उनके भाषणों (speeches) और जोशीले नारों (slogan) के कारण हुई थी। नीचे कर्पूरी ठाकुर के कुछ भाषण और नारे दिये गये हैं-
"संसद के विशेषाधिकार कायम रहें, अक्षुण रहें, आवश्यकतानुसार बढ़ते रहें। परंतु जनता के अधिकार भी। यदि जनता के अधिकार कुचले जायेंगे तो जनता आज-न-कल संसद के विशेषाधिकारओं को चुनौती देगी"
"सौ में नब्बे शोषित हैं,शोषितों ने ललकारा है।
धन, धरती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है॥
"हमारे देश की आबादी इतनी अधिक है कि केवल थूक फेंक देने से अंग्रेजी राज बह जाएगा"
"अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो
पग पग पर अड़ना सीखो
जीना है तो मरना सीखो।"
पुरष्कार और सम्मान (Awards)
कर्पूरी ठाकुर बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नितीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान और सुशील कुमार मोदी के राजनीतिक गुरु थे। अपनी लोकप्रियता के कारण बिहार के लोग इन्हें "जननायक" कहकर संबोधित करते हैं। 26 जनवरी 2024 को मरणोपरांत इन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया।
- इनकी मृत्यु के बाद साल 1988 में इनके गाँव पितौंझिया का नाम बदलकर "कर्पूरी ग्राम " रखा गया।
- इनकी याद में डाक विभाग ने साल 1991 में एक stamp भी निकाला था जिस पर कर्पूरी ठाकुर जी की फोटो थी।
- इनके सम्मान में भारतीय रैलवे द्वारा दरभंगा से अमृतसर के बीच जननायक एक्सप्रेस ट्रेन चलायी जाती है।
- बिहार सरकार ने कर्पूरी ठाकुर जी के सम्मान में मधेपुरा में जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज की स्थापना की है।
FAQs
कर्पूरी ठाकुर कौन थे?
कर्पूरी ठाकुर बिहार के 11वें मुख्यमंत्री थे,ये बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री तथा दो बार मुख्यमंत्री थे।
कर्पूरी ठाकुर का जन्म कब हुआ था?
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी,1924 को बिहार राज्य के समस्तीपुर जिले के एक छोटे से गाँव पितौंझिया में हुआ था।
कर्पूरी ठाकुर की जाति क्या थी?
कर्पूरी ठाकुर बिहार की निचली जाति "नाई जाति" से थे। इनके पिता की बाल काटने की दुकान भी थी।
कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री कब बने?
कर्पूरी ठाकुर साल 1970 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।
कर्पूरी ठाकुर का निधन कैसे हुआ?
कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी साल 1988 को पटना में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था तब इनकी उम्र मात्र 64 वर्ष थी।
कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु कब और कहां हुई थी?
कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु महज 64 साल की उम्र में 17 फरवरी सन् 1988 में पटना में दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न क्यों मिला?
कर्पूरी ठाकुर को उनके दलितों शोषितों और वंचितों के प्रति किये गए कार्यों तथा देशसेवा के अतुलनीय भाव के लिए 26 जनवरी,2024 को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया।
कर्पूरी ठाकुर के बेटे का क्या नाम है?
कर्पूरी ठाकुर के बेटे का नाम रामनाथ ठाकुर है।
कर्पूरी ठाकुर किस पार्टी के थे?
कर्पूरी ठाकुर अलग अलग पार्टी के सदस्य रह चुके हैं जिसमे सोशलिस्ट पार्टी,जनता पार्टी और लोकदल पार्टी है।
कर्पूरी ठाकुर के राजनीतिक गुरु कौन थे?
जयप्रकाश नारायण और डॉ राममनोहर लोहिया कर्पूरी ठाकुर के राजनीतिक गुरु थे।