बैल पोला त्योहार कब है और क्यों मनाया जाता है? | Bail Pola Festival 2024 Kab Hai

Aman Shukla
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A bull of bail pola festival of india
Bail Pola Festival


Bail Pola Kab Hai 2024: नमस्कार दोस्तों! हमारा देश भारत विभिन्नताओं का देश है यहाँ पर हर राज्य के लोगों की अलग भाषा अलग वेश भूषा और अलग खान पान है। इतनी विभिन्नताओं के बावजूद हमारा प्यारा देश और देश के सभी लोग मिलजुलकर प्रेम से रहते हैं और एक दूसरे की संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हैं। हमारे देश में कई त्योहार मनाये जाते हैं उन्हीं त्योहारों में एक त्योहार है बैल पोला


आज के अपने इस लेख में हम आपको बैल पोला त्योहार के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। बैल पोला कब है, (kab hai bail pola date 2024) क्यों मनाया जाता है, इसका महत्व क्या है, मनाने का तरीका क्या है और  इस त्यौहार का नाम बैल पोला कैसे पड़ा? सारी जानकारी आप को इस लेख में मिलने वाली है इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िएगा-

    बैल पोला त्योहार (Bail Pola Festival) 


    त्योहार का नाम

    बैल पोला (Bail Pola) 

     अन्य नाम

     मोठा पोला, तनहा पोला

    मनाने वाले राज्य

     महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड

    मुख्य काम

    बैलों की पूजा

    समय

    भाद्रपद माह की अमावस्या को

    इस साल बैल पोला कब है

    2 सितम्बर, 2024 

    कौन मनाते हैं किसान समुदाय
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    बैल पोला त्योहार की जानकारी (Bail Pola )

    दोस्तों! भारतवर्ष के अलग-अलग कोनो में अलग-अलग प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। सभी लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुसार त्यौहार मनाते हैं इन्हीं त्योहारों में एक प्रसिद्ध त्योहार है बैल पोला; जिसे मोठा पोला और तनहा पोला के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है।


     मुख्य रुप से यह त्योहार महाराष्ट्र में मनाया जाता है।  बैल पोला त्यौहार मुख्य रूप से किसानों द्वारा मनाया जाता है यह त्यौहार भाद्रपद महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन किसान अपने बैलों की पूजा करते हैं।  किसानों का मानना है कि बैल खेती में किसानों की बहुत सहायता करते हैं और यही कारण है कि बैल पोला के दिन बैलों की पूजा की जाती है और बैलों को सम्मान दिया जाता है।

    A bull with garland on neck and many cows and bull in background
    Bail Pola


    बैल पोला 2024 में कब है (Bail Pola 2024 kab hai )

    बैल पोला त्यौहार हर साल भाद्रपद महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 2 सितंबर 2024 को सोमवार के दिन मनाया जाएगा।

    बैल पोला त्योहार का महत्व (Bail Pola Festival Importance) 

    बैल पोला त्यौहार के दिन सभी लोग अपने बैलों को अच्छे से नहला धुलाकर सजाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। लोगों का ऐसा मानना है कि यह बैल साल भर उनके खेतों में काम करते हैं जिससे किसानों की जीविका चलती है; इसी वजह से साल में एक दिन इन बैलों को काम से छूट दी जाती है और इन्हें पूजा जाता है। यह त्यौहार हमें खेती के महत्व को और किसानों के बीच बैलों की भूमिका को बताता है। यह त्यौहार हमें बताता है कि किस तरह से मनुष्य को पशुओं से प्रेम करना चाहिए यह त्यौहार समाज के लोगों को एकजुट करता है जिससे सभी मिलकर एक साथ खुशियां मनाते हैं।


    बैल पोला त्योहार कैसे मनाते हैं 

    बैल पोला त्यौहार मुख्यतः महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में मनाया जाता है। यह त्यौहार दो दिन मनाया जाता है। इस दिन-
    • पहले दिन बैलों को उनकी रस्सियों से स्वतंत्र किया जाता है और उन्हें अच्छी तरह से स्नान कराया जाता है।
    •  अगर आसपास कोई तालाब या नदी होती है तो वहां पर बैलों को नहलाया जाता है।
    • बैलों को नहलाने के बाद उनके शरीर पर हल्दी, तेल और उबटन लगाकर अच्छे से मालिश की जाती है।
    • अगले दिन उन सभी बैलों को अच्छी तरह से सजाया जाता है उनकी सिंगो को रंगा जाता है, रंगीन कपड़े पहनाए जाते हैं, गले में घंटियां और मालाएँ पहनाई जाती हैं।
    • उसके बाद बैलों की पूजा की जाती है उन्हें खाने के लिए फल और मिठाई चढ़ाई जाती है। कुछ गांव में लोग इकट्ठा होकर सामूहिक रुप से यह त्यौहार मनाते हैं।
    • सबके घरों में इस दिन स्वादिष्ट पकवान और मिठाइयां बनती है जैसे पूरी, खीर खुरमी आदि स्वादिष्ट पकवान इस दिन बनाये जाते हैं और परिवार के सभी लोग मिल कर एक साथ भोजन करते हैं।

    इस त्योहार का नाम बैल पोला कैसे पड़ा 

    इस त्यौहार का नाम बैल पोला कैसे पड़ा इसके पीछे लोगों का अलग-अलग मानना है। कुछ लोग मानते हैं कि बैल का अर्थ 'बैल' होता है और पोला का अर्थ 'पूर्णिमा' होता है। चूकि यह त्यौहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इसलिए इस त्यौहार को बैल पोला का त्योहार कहते हैं।

    दूसरे लोगों का मानना है कि यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण जी से जुड़ा है। एक कहानी के अनुसार, श्री कृष्ण ने बचपन में ही एक राक्षस को मार डाला था जिसका नाम पोलसुर था इसीलिए यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण द्वारा पोलसुर पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष में बैल पोला के नाम से मनाया जाता है।

    जबकि कुछ और लोगों का मानना है की पोल शब्द संस्कृत भाषा के शब्द 'पलय' से लिया गया है जिसका अर्थ होता है पलायन करना या फिर आराम करना। इस दिन बैलों को खेती का काम ना करा कर आराम दिया जाता है इसी कारण इस त्यौहार को बैल पोला के नाम से जाना जाता है।

    निष्कर्ष 

     बैल पोला त्यौहार हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं से जोड़े रखने में मदद करता है। यह त्यौहार मानव और पशुओं के बीच के गहन संबंधों को उजागर करता है और बताता है कि हमें एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए। हमें आशा है कि इस लेख के माध्यम से आपको बैल पोला त्यौहार कब है? (Bail pola kab hai),बैल पोला त्यौहार का महत्व क्या है, यह त्यौहार कैसे मनाया जाता है आदि सारी जानकारियां मिल गई होगी । 

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