मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय | Munshi Premchand Biography in Hindi (Jivani)

Aman Shukla
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Munshi Premchand Biography


Munshi Premchand Biography :दोस्तों! हिन्दी हमारी मातृ भाषा है। हमारे देश में सबसे ज्यादा प्रचलित और सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है। हिंदी साहित्य एक विशाल साहित्य भंडार है कई बड़े विद्वानों और महापुरुषों ने हिंदी में अपनी रचनाएँ लिखी हैं। इन्ही लेखकों में से एक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं। इन्हें हिंदी का उपन्यास सम्राट कहा जाता है। प्रेमचंद एक ऐसे लेखक थे जिंहोंने अपनी कहानियों के माध्यम से सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाया। उनकी कहानियों में समाजिक न्याय, मानवता और मानवीय दुःख-सुख की गहराई को दिखाया गया है। अगर आप मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखी कोई कहानी या उपन्यास को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि इनकी रचनाओं में वास्तविकता का सजीव चित्रण देखने को मिलता है। इनकी रचनाएँ अत्यंत ही मार्मिक और भावपूर्ण होती हैं। इन्होंने अपनी रचनाओं में तत्कालीन समाज की बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा आदि को बड़े ही सजीव रूप में दर्शाया है। 

आज के इस लेख में हम आपको उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी का संपूर्ण जीवन परिचय (Premchand biography in hindi) देने वाले है, साथ ही साथ इस लेख में प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय, भाषा, शैली, रचनाएँ, उपन्यास आदि के बारे में भी सारी जानकारी दी गई है।

    मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (Munshi premchand biography jivan parichay) 

    पूरा नाम

    धनपत राय श्रीवास्तव ‘प्रेमचंद’

    जन्म

    31 जुलाई 1880

    जन्म स्थान

    लाहना, उत्तर प्रदेश

    माता

    आनंदी देवी

    पिता

    अजमल राय

    मृत्यु

    8 अक्टूबर 1936

    प्रमुख रचनाएँ

    "गोदान", "निर्मला", "गबन", "कफ़न"

    पुरस्कार

    पद्म भूषण (1964)


    बचपन और शिक्षा (Early Life and Education) 

    मुंशी प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, जो 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के शेखुपुरा गाँव में जन्मे थे। उनकी माता का नाम आनंदी देवी और पिता का नाम अजमल राय था। उनका बचपन गरीबी में बिता, लेकिन उनकी शिक्षा उनके प्रेरणात्मक पिता और विद्वान भाइयों के सहयोग से चली। प्रेमचंद ने अपने बचपन के दिनों में उर्दू, फारसी, और हिंदी में लिखना और पढ़ना सीखा।

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    लेखन की शुरुआत

    प्रेमचंद का लेखक बनने का सफर उनके बचपन से ही शुरू होता है। उन्होंने 'नवाब राय' के नाम से कुछ कहानियाँ लिखी, लेकिन बाद में उन्होंने 'प्रेमचंद' का उपयोग किया, जो उनके लेखन का नया आरंभ था।


    प्रेमचंद के लेखन में देश की राजनीति, सामाजिक समस्याएं, भ्रष्टाचार, और गरीबी जैसे विभिन्न मुद्दों पर चिंतन किया गया। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक मूल्यों को छूती हैं।


    रचनाएँ 

    1. गोदान: यह उनकी प्रमुख कहानियों में से एक है, जो गरीबी, सामाजिक न्याय, और मानवता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है।
    2. निर्मला: एक दिलचस्प कहानी जो एक नौकरानी के जीवन की कठिनाइयों और सामाजिक दबाव को दर्शाती है।
    3. गबन: यह कहानी एक शूद्र व्यक्ति के जीवन की कठिनाइयों और उसके खोज के पीछे की कहानी है।
    4. कफ़न: यह कहानी एक गरीब शव के लिए उसके परिवार की संघर्ष को दर्शाती है और समाज में गरीबी की स्थिति को उजागर करती है।
    5. प्रेमा: यह एक लघुकथा है जो समाज में सामाजिक न्याय को उजागर करती है और एक महिला के अधिकारों की महत्वपूर्णता पर ध्यान केंद्रित करती है।
    6. सेवासदन: यह कहानी एक युवा वकील के चुनौतीपूर्ण जीवन की कहानी है और उसके नैतिक उत्थान को दर्शाती है।
    7. मंदिर: एक विचारशील कहानी जो समाज में धार्मिकता के मुद्दे पर सवाल उठाती है।
    8. पूजा: यह कहानी भक्ति और समाज की भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक स्वतंत्र युवा की लड़ाई को दिखाती है।


    साहित्यिक परिचय

    मुंशी प्रेमचंद का असली नाम 'धनपत राय' था। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के लाहना गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम 'अजमल राय' था। उन्होंने अपनी कहानियों में समाज की विभिन्न वर्गों की जीवनी को उजागर किया और आम जनता के दर्द और दुःख को सुनाया।

    मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं में सामाजिक सुधार, न्याय, व्यक्तित्व विकास, और धार्मिकता के मुद्दे सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से समाज को जागरूक किया और उसे समाज की समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाया।

    भाषा शैली

    मुंशी प्रेमचंद की भाषा शैली अत्यंत सरल, साधारण, और जनहित में उपयुक्त होती है। उन्होंने अपनी कहानियों में उत्कृष्ट भाषा का प्रयोग किया और समस्याओं को व्याख्यात करने के लिए सादगी से बात की। उनकी भाषा में संवेदनशीलता और सहजता की भावना हमेशा प्रमुख रही है।

    उनकी कहानियों में अद्वितीय भाषा शैली का उपयोग उनके काम को और भी गहराता है और पाठकों को उनके संदेशों को समझने में सहायक बनाता है।

    इस रूप में, मुंशी प्रेमचंद ने अपनी अनूठी भाषा शैली और साहित्यिक दृष्टि के माध्यम से आधुनिक हिंदी साहित्य को एक नया दिशा प्रदान की। उनका साहित्य आज भी हमारे दिलों में बसा है और हमें समाज की सच्चाई से विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

    मृत्यु (Death) 


    मुंशी प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को हुआ, लेकिन उनका कला और उनकी लेखनी हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा। उनका योगदान हिंदी साहित्य को एक नया मोड़ दिया और आज भी उनकी कहानियाँ हमें मानवता और सामाजिक न्याय की दिशा में सोचने पर मजबूर करती हैं।


    निष्कर्ष

    मुंशी प्रेमचंद एक ऐसे लेखक थे जो अपनी कहानियों के माध्यम से एक असली और समाजिक दुनिया का चित्रण करते रहे। उनका योगदान कभी नहीं भूला जायेगा और उनका कला हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेगा। हमें आशा है कि इस आर्टिकल के माध्यम से आपको मुन्शी प्रेमचंद जी के बारे में संपूर्ण जानकारी (Munshi Premchand Biography in hindi) मिल गई होगी। ऐसे ही और ब्लॉग पढ़ने के लिए आप हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ सकते हैं।

    धन्यवाद!


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